जयपुर जो गुलाबी नगरी (Pink City) के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह अपने तरह – तरह के अनोखे महलों और किलों से बहुत प्रसिद्ध है । इस गुलाबी नगरी को देखते ही आपका मन इसके तरफ आकर्षित हो जाएगा। इसकी एक विशेषता मंदिरों को लेकर भी है। यहां के मंदिर बहुत पुराने है। शायद जयपुर के बसने से पहले के है ।
महाशिवरात्रि आने वाला है । इस समय अगर जयपुर आएं तो यहां के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन जरूर करें ।
इस ब्लॉग में जयपुर के ताड़केश्वर मंदिर
तारकेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? जयपुर शहर से भी पुराना है इस मंदिर का इतिहास
ऐतिहासिक ताड़केश्वर मंदिर जयपुर के परकोटे में स्थित चौड़ा रास्ता में है । यह मंदिर राजस्थानी वास्तु कला से बनवाया गया है। जयपुर के महाराज जय सिंह द्वितीय द्वारा 1727 में अपने नाम से बसाया गया था । जयपुर को पहले जैपोर कहते थे, फिर यह जयपुर कहलाने लगा । ऐतिहासिक दृष्टि से इस मंदिर में जयपुर शहर के बसने से पहले ही शिवलिंग था । इसलिए यह भी कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ है ।
प्राचीन शिव धाम ताड़केश्वर मंदिर के नामकरण
इस क्षेत्र में ताड़ के पेड़ अधिक थे, इसलिए यह मंदिर ताड़केश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया । कहते है कि अंबिकेश्वर मंदिर के महंत सबसे पहले इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग के दर्शन किए थे । पहले एक छोटा सा मंदिर बना, जो यहां के राजाओं द्वारा बनवाया गया था । इसके बाद एक विशाल मंदिर बना ।
जयपुर की स्थापना से पहले प्रगटे ताड़कनाथ, स्वयं प्रकट हुए थे यहां महादेव
मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था । इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना नहीं की गयी थी । शुरू में इसका नाम ताड़कनाथ मंदिर पड़ा । बाद में यही बदल कर ताड़केश्वर मंदिर हो गया । कहते है इस मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से मांगो मिल जाता है । यहां के लोंगो को इस मंदिर से गहरी निष्ठा है ।
महाशिवरात्री जयपुर
यह मंदिर हमेशा खुला रहता है लेकिन सावन और महाशिवरात्रि पर यहां बहुत भीड़ रहती है । महाशिवरात्रि के दिन बाबा का दर्शन पाने के श्रद्धालुओं की भारी भीड जुटती है।
राजस्थान के प्रसिद्ध शिव मंदिर, पुराणों में मिलता है इनका उल्लेख
आइये राजस्थान के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों पर एक नजर डालें । अगर आप फाल्गुन (मार्च) के महिने में महाशिवरात्रि के मौके पर राजस्थान जा रहे है तो इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन जरूर करें ।
अचलेश्वर महादेव मंदिर, धौलपुर; महाकाल के अंगूठे का रहस्य
राजस्थान के माउण्ट आबू में अचलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है । पूरे संसार में यही एक ऐसी मंदिर है जहां महादेव के पैर के अंगूठे की पूजा होती है । इस मंदिर में भगवान शिव के पैर का अंगूठा स्थापित है । राजस्थान राज्य का केवल एक हिल स्टेशन माउंट आबू है ।
अर्ध काशी के नाम से जाना जाता है अचलेश्वर महादेव मंदिर
इसे अर्धकाशी भी कहते है । इसे अर्धकाशी कहने का कारण यह है कि यहां भगवान शिव की बहुत पुरानी मूर्ति है । स्कंद पुराण के अनुसार महादेव की नगरी तो वाराणसी है । माउंट आबू को महादेव की उपनगरी माना जाता है । इस मंदिर में नंदी महाराज की भव्य मूर्ति है । नंदी जी की मूर्ति का भार करीब 4 टन है । नंदी जी की मूर्ति सोना, चांदी, तांबा, पीतल एवं जस्ता पांच धातुओं के समीश्रण से बना है ।
12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात घुश्मेश्वर महादेव मंदिर, शिवाड़ घुश्मेश्वर महादेव
राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में स्थित शिवाड़ के घुश्मेश्वर महादेव बहुत प्रसिद्ध है । इसे राजस्थान का ज्योतिर्लिंग कहा जाता है । बारहवें ज्योतिर्लिंग में से एक यह घुश्मेश्वर महादेव मंदिर को माना जाता है । मान्यता है कि एक घुश्मा नाम का ब्राह्मण भगवान शिव की बहुत आराधना करता था । उसकी आराधना से खुश होकर महादेव उसे अपने नाम से यही रहने का वरदान दिये थे । यह मंदिर कितना पुराना है यह नहीं कहा जा सकता है । इस मंदिर को बड़े पैमाने पर बनाने के कारण जगह – जगह पर मंदिर का टूट गयी है । इस मंदिर का गर्भगृह अभी भी सुरक्षित है ।
‘झारखंड महादेव मंदिर‘ की अपनी है एक अलग पहचान
नाम है झाड़खंड महादेव मंदिर। लेकिन यह झारखंड में नहीं जयपुर में है। जयपुर में विराजमान झाड़खंड महादेव मंदिर बहुत सुंदर है। यह आपके मन को मोह लेगा । यह मंदिर दक्षिण भारत की शोभा बढ़ा देता है । हर दिन यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते है । प्रतिदिन आरती होती है जिसमें भक्तों की भीड आती है आरती करने। यहां श्रद्धालुओं की भीड़ हमेशा रहती है । भगवान शिव को लोग अलग अलग नामों से जानते हैं। महाकाल, भोला, शंकर, देवो के देव महादेव कई नामों से जाने जाते हैं। मान्यता है कि यहां पूरे मन से मांगने से हर मनोकामना पूरी होती है । इसलिए मंदिर में महादेव की भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। झाड़खंड महादेव मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं जाता। हमारे भोले सबकी सुनते हैं। यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। भगवान शिव के दर्शन से आपके मन को शांति मिलेगी। सालों पुरानी इस मंदिर की मान्यता है कि यहां कि धरती पर कई बाबाओं ने तप किये है। हमारे देश में धर्म का विशेष स्थान है। हमारे यहां भगवान की पूजा मन से कि जाती है। यही कारण है कि यह मंदिर भी खुब प्रसिद्ध है। गुलाबी नगरी की प्रेमपुरा में यह मंदिर है। महाशिवरात्रि के दिन यहां का दृश्य देखने लायक होता है। कहते है कि इस दिन भगवान शिव के दर्शन कर उन्हें पंचामृत से नहलाने से व्यक्ति हमेशा प्रसन्न रहता है और महादेव उसकी रक्षा हमेशा करते हैं।
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