राजगीर का पांडु पोखर: प्राकृतिक सौन्‍दर्य, नौका विहार, महाभारत की यादें, घुडसवारी के साथ स्‍वादिष्टि भोजन भी

पांडु पोखर राजगीर का सबसे लोकप्र‍िय स्‍थलों में से एक है। शैलानियों के लिए आकर्षक और मनभावन स्‍थान है। यह एक ऐतिहासिक केन्‍द्र है। इसका संबंध महाभारत के पांडव से है। ऐतिहासिक स्‍थलों पर घुमना अपने प्राचीनकाल के गौरवशाली अतीत में एक बार पुन: भ्रमण करना है। यह स्‍थल एक प्रकार से टाइम मशीन की तरह है जो आपको कई हजार वर्ष पूर्व इतिहास के पन्‍नों का सैर कराता है। हमारे पूर्वज किस प्रकार से अथक परिश्रम कर इन स्‍थानों पर आये और पुरुषार्थ किये। यहां परिवार संघ या मित्रों के संघ घुमना बहुत आनंद देने वाला है। प्रेमी जोडों के लिए यह मनोरंजक स्थल घुमने लायक है क्‍योंकि यहां आपके मजा को कई गुणा बढ़ाने के लिए और भी कई इंतेजाम हैं।

प्राकृति की गोद में

प्राकृति की गोद में बसा यह यह स्‍थान आपको शान्ति का अनुपम अनुभव करने के लिए बुला रहा है। यहां पर आपको प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक महत्व, और अनेक प्रकार के खेल-कूद का आनंद मिलेगा।

पांडु पोखर का इतिहास

पांडु पोखर का नाम महाभारत के समय के राजा पांडु से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि राजा पांडु ने राजगृह पर आक्रमण किया था और इसे जीत कर अपना आधिपत्‍य स्‍थापित किया। इस स्थान को वे अपने घोड़ों को रहने के लिए अस्‍तबल के रूप में प्रयोग किया। जब वह यहां से चले गए, तो इस जगह पर एक गड्ढा बन गया, जिसमें बारिश का पानी जमा हो गया। इस प्रकार, इस पांडु पोखर का निर्माण हुआ। ऐसा कहा जाता है कि पांडव के पिता पांडु यहां पर स्नान करने आते थे। इसी लिए इस स्‍थान का नाम पांडु पोखर पडा।

बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्म के अनुयायी

इस ऐतिहासिक और पवित्र स्थल है, जहां बौद्ध, जैन, और हिंदू धर्म के अनुयायी भी आते हैं। यह स्‍थल सभी को आनंद से भर देती है। एकांत में रहकर अपने आत्‍म की खोज करने वालों का भी पसंदिदा जगह है यह।

पांडु पोखर का भौगोलिक विस्‍तार

बिहार सरकार के अधिकार‍िक वेबसाइट के अनुसार पांडु पोखर को 22 एकड़ में फैला हुआ।

बिहार सरकार के पर्यटन विभाग

बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने इसके सौन्‍दर्यीकरण के लिए कई विद्वानों की मदद ली। इसकी सौन्‍दर्यीकरण करने में इसके प्राचीन इतिहास को बनाये रख कर नयी सुविधाओं से लैश करने पर विशष बल दिया गया है। इसके निर्माण में नालंदा के खंडहर के ईंट के तर्ज पर यहां की दिवारों को भी उसी पद्धति से बनाया गया है।

पांडु पोखर के आकर्षण

एक मनोरंजन पार्क बनाया गया है, जहां पर आपको अनेक प्रकार के गतिविधियों का आनंद मिलेगा। यहां पर आप निम्नलिखित चीजें कर सकते हैं:

राजा पांडु का प्रतिमा

पांडु के साथ अपनी अनुभव को जोडने के लिए बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने पोखर के मध्‍य में 40 फिट का प्रतिमा का निर्माण कराया है। इसके आसपास कई फव्‍वारे लगाये गये हैं। इनके बीच रंग बिरंगा एल इ डी बल्‍ब पांडु के प्रतिमा देखने के आनंद को और मजेदार बना देते हैं। आप नौकायन करने हुए इस प्रतिका के पास भी जाकर सेल्‍फी ले सकते हैं। यह ऐसा पल होता है कि हमेशा के लिए दिल के गहराई अंकित हो जाता है।

संगमरमर निर्मित 300 किलो का बुद्ध का प्रतिमा

पांडु पोखर परिसर में संगमरमर निर्मित 300 किलो का बुद्ध का प्रतिमा को भी स्‍थापित किया गया है। इसका कारण यह है कि राजगीर हिन्‍दू, जैन और बौद्ध तीनों ही धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से पवित्र स्‍थल है। भगवान बुद्ध की प्रतिमा से न सिर्फ बिहार सरकार की समरसता के दृष्टि को बल मिलता है बल्कि पर्यटन की दृष्टि से यह बौद्ध पर्यटकों को भी आकर्ष‍ित करता है।

नौका विहार

पांडु पोखर की सबसे लोकप्रिय गतिविधि है नौका विहार। आप यहां पर पानी के बीच में नौका चला कर शांति और खुशी का अनुभव कर सकते हैं। आपको यहां पर अलग-अलग प्रकार की नौकाएं मिलेंगी, जैसे कि पैडल बोट, डबल पैडल साइकिल, जोर्बिंग, आदि।

घोड़ा सवारी

अगर आपको घोड़ा सवारी का शौक है, तो आप यहां पर सुंदर सजे घोड़े पर बैठ कर पार्क की सैर कर सकते हैं। आपको यहां पर अनुभवी और सहायक घोड़े मिलेंगे, जो आपको सुरक्षित और मजेदार घूमने का मौका देंगे।

खेल-कूद

पांडु पोखर  में आपको अन्दर और बाहर दोनों तरह के खेल-कूद करने को मिलेंगे। आप यहां पर ट्रैम्पोलिन, बाउंसी का खेल, कृत्रिम बुल राइड, फुटबॉल, बास्केटबॉल, बॉलीबॉल कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, सेल्फी पॉइंट, बच्चों का प्ले जोन, क्रिकेट, हॉर्स किड्डीज, शूटिंग, टेबल सॉकर, कैरम, डार्ट बोर्ड, शतरंज, जिप लाइन, बर्मा ब्रिज, बंजी जंपिंग का खेल, पूल टेबल, टेबल सॉकेट, टेबल टेनिस, एयर हॉकी, आदि का मजा ले सकते हैं।

जिप लाइन खेल का मजा

ज़िप लाइन गेम युवाओं में बहुत प्रसिद्ध है, क्योंकि यह उन्हें कई तरह के लाभ और आनंद प्रदान करता है। इससे युवाओं को जोश और ऊर्जा देता है। युवाओं को अपने डरों को जीतने और अपनी सीमाओं को आजमाने का साहस देता है। अपने आसपास के प्राकृतिक और मानव निर्मित दृश्यों को एक नए नजरिए से देखने का मौका मिलता है। युवाओं को ऊंचाई से उड़ने का आनंद मिलता है, और वे अपने आसपास की सुंदरता को सराहते हैं। अपने दोस्तों और परिवार के साथ एक साथ मजे करने का अवसर मिलता है। युवाओं को एक टीम के रूप में काम करना और एक दूसरे को प्रोत्साहित करना सीखते हैं। युवाओं को एक दूसरे के साथ यादगार पल बिताने का मौका मिलता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का तरीका सीखते हैं। अपने शरीर को व्यायाम करने और अपने मन को शांत करने का अनुभव होता है। युवाओं को अपने तनाव और चिंता को कम करने और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलता है।

भोजनालय

पांडु पोखर में आपको एक भोजनालय भी मिलेगा, जहां पर आप अपने पसंद के खाने का आनंद ले सकते हैं। आपको यहां पर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन मिलेंगे, जो स्वादिष्ट और पौष्टिक होंगे। उत्तर भारत के भोजन के साथ साथ साउथ इंडियन भोजन भी यहां के आकर्षण हैं।

साउथ इंडियन भोजन

आपके खाने का भी खाशा ध्‍यान रखा गया है। नाश्ते में इडली ले सकते हैं इसमें चावल और उड़द की दाल जो भाप में पकाए जाते हैं के साथ सांभर और नारियल की चटनी का मजा ले सकते हैं।

डोसा जो चावल और उड़द की दाल के घोल से बने हुए पतले और कुरकुरे व्यंजन हैं। इसे जो तवे पर सेक कर बनाया जाता है। इन्हें सांभर और चटनी के साथ परोसा जाता है। कई प्रकार डोसा यहां मिलता है जैसे मसाला डोसा, रवा डोसा, पेसरअट्टू आदि।

उत्तपम: ये भी चावल और उड़द की दाल के घोल से बने हुए मोटे और चिकने व्यंजन हैं, जो तवे पर सेक कर बनाये जाते हैं। इन पर प्याज, टमाटर, हरी मिर्च और करी पत्ते डाले जाते हैं। इन्हें भी सांभर और चटनी के साथ परोसा जाता है।

 अप्पम: केरल में प्रसिद्ध व्यंजन हैं, जो चावल और नारियल के घोल से बने हुए गोल और फूले हुए व्यंजन हैं। इन्हें अवियल या कड़ाला करी के साथ खाने का मजा का जबाब नहीं है।

   पोहा इडली: ये कर्नाटक के विशेष व्यंजन हैं, जो पोहा, चावल और उड़द की दाल के घोल से बने हुए नरम और फूले हुए व्यंजन हैं। इन्हें चटनी या सांभर के साथ परोसा जाता है।

दोपहर का खाना

आप दोपहर के खाने में इन व्यंजनों को ऑडर कर सकते हैं

 सांभर चावल: ये दक्षिण भारत का सबसे लोकप्रिय व्यंजन है, जो तूअर दाल, सब्जियों और मसालों के साथ बनाया जाता है। इसे उबले हुए चावल के साथ खाया जाता है।

 रसम चावल: रसम एक पतली और खट्टी दाल है, जो इमली, टमाटर, लहसुन, हरी मिर्च और मसालों के साथ बनाई जाती है। इसे भी उबले हुए चावल के साथ खाया जाता है।

 बिसिबेले भात: ये कर्नाटक का एक विशेष व्यंजन है, जो चावल, तूअर दाल, सब्जियों और बिसिबेले मसाले के साथ बनाया जाता है। इसे घी, बोंडी या पापड़ के साथ परोसा जाता है।

करी चावल: करी चावल एक आसान और स्वादिष्ट व्यंजन है, जो दही, बेसन, और मसालों के साथ बनाया जाता है। इसे उबले हुए चावल के साथ खाया जाता है।

हैदराबादी बिरयानी: ये आंध्र प्रदेश का एक मशहूर व्यंजन है, जो बासमती चावल, मटन या चिकन, नींबू, दही, प्याज और केसर के साथ बनाया जाता है। इसे रायता या सलान के साथ परोसा जाता है।

रात का खाना

आप रात के खाने में इन व्यंजनों को ऑडर कर सकते हैं

 पुलियोगरे: ये एक चटपटा और खट्टा व्यंजन है, जो चावल, इमली, उड़द दाल, राई, करी पत्ते और मसालों के साथ बनाया जाता है। इसे नारियल चटनी या पापड़ के साथ परोसा जाता है।

चाइनीज भोजन

इसमें चाउमिन, मंचुर‍ियन, स्प्रिंग रोल, चिल्‍ली पोटैटो आदि का लुत्‍फ उठा सकते हैं।

बैठने के लिए पारंपरिक कुटिया

बैठने के लिए पारंपरिक कुटिया को भी बनाया गया है। कई छायांकित शेड में आराम से बैठ सकते हैं। यहां पहाडी युक्‍त हर‍ियाली का भी लुत्‍फ उठा सकते हैं।

बच्‍चों का पार्क

अगर आप बच्‍चों के साथ यहां आते हैं तो उनके लिए भी बहुत कुछ है। यहां आपके बच्चे अपने मन के अनुसार खेल सकते हैं, अपने दोस्तों के साथ मजे कर सकते हैं, और अपनी शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। यहां बच्चों का पार्क में कई तरह के खेलने के उपकरण होते हैं, जैसे:

झूला

यह एक ऐसा उपकरण है, जिसमें एक या दो बच्चे बैठ कर आगे-पीछे या घूमते हुए झूल सकते हैं। यह बच्चों को अनंत आनंद देता है, और उनकी संतुलन शक्ति को भी बढ़ाता है।

स्लाइड

यह एक ऐसा उपकरण है, जिसमें बच्चे एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर चढ़ कर, फिर एक झुके हुए पटरी पर फिसल कर नीचे उतरते हैं। यह बच्चों को रोमांच और उत्साह देता है, और उनकी गति और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।

सीसॉ

यह एक ऐसा उपकरण है, जिसमें दो बच्चे एक लकड़ी के टुकड़े पर बैठ कर, एक दूसरे को ऊपर-नीचे करते हैं। यह बच्चों को सामंजस्य और साझेदारी का अहसास कराता है, और उनकी टाइमिंग और समन्वय को भी सुधारता है।

बच्चों का पार्क में बच्चों को कई तरह के आनंद और सुख मिलते हैं, जैसे:

बच्चों को अपने दोस्तों के साथ बिना किसी चिंता या दबाव के खेलने का मौका मिलता है, जिससे उनका मन खुश और शांत रहता है।

बच्चों को अपने आप को व्यक्त करने का अवसर मिलता है, जिससे उनका व्यक्तित्व और आत्मसम्मान बढ़ता है।

बच्चों को अपनी रुचियों और शौकों को पहचानने और उन्हें निर्वाह करने का मार्गदर्शन मिलता है, जिससे उनका ज्ञान और हुनर बढ़ता है।

बच्चों को अपने साथी और पर्यावरण के प्रति सम्मान और सहयोग का भाव जागृत होता है, जिससे उनका सामाजिक और नैतिक विकास होता है।

बच्चों को अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का तरीका सीखते हैं, जिससे उनका जीवन आनंदमय और सुखद होता है।

बच्‍चों में बर्मा ब्रिज का विशेष क्रेज

पांडु पोखर का सबसे पसंदिदा खेल जो हर बच्‍चा इसका आनंद लेना चाहता है। बर्मा ब्रिज खेल बच्चों में इसलिए लोकप्रिय है, क्योंकि यह उन्हें कई तरह के लाभ और आनंद प्रदान करता है।

इससे बच्चों की संतुलन शक्ति, समन्वय, निर्णय लेने की क्षमता, और आत्मविश्वास में सुधार होता है। बच्चों को रोमांच और उत्साह का अनुभव होता है, और वे अपनी सीमाओं को आजमाने और उन्हें तोड़ने का साहस करते हैं। बच्चों को अपने साथियों के साथ साझेदारी और सहयोग का भाव जागृत होता है, और वे एक टीम के रूप में काम करना सीखते हैं। बच्चों को अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का तरीका सीखते हैं, और वे अपने तनाव और चिंता को कम करते हैं। यह खेल बच्चों के लिए एक बहुत ही मनोरंजक और शिक्षाप्रद गतिविधि है, जो उनके विकास और खुशी के लिए लाभदायक है।

हवाई टैभेल सेवा

14 दिसम्‍बर 2023 से बोधगया, गया एवं राजगीर के लिए हेलिकॉप्‍टर दर्शन की सुविधा बिहार सरकार द्वारा उपलब्‍ध कराया जा रहा है जिसका शुल्‍क लगभग 7 – 8 हजार रुपया है। इसके बुकिंग के लिए एक वेबसाइट www.flymahabodhi.com बनाया गया है। बोधगया में नोड वन स्थित शॉप नम्‍बर 136 कार्यालय में बुकिंग की सुविधा उपलब्‍ध है। यह सुविधा प्रतिदिन सुबह 10:00 से शाम 05:00 तक गया एयरपोर्ट से उपलब्‍ध है। हवाई पर्यटन शुल्‍क में खाना, गाइड की सेवा भी उपलब्‍ध करायी जा रही है। इसका शुल्‍क 5000 से 8000 रुपया रखा गया है।

पांडु पोखर कैसे पहुंचें

राजगीर की इस छोटी भूमि की मनोरम छटा ने आज ही नहीं बल्कि महाभारत काल से ही लोगों के हृदय को अपनी ओर खींचा है। भारत के कोने कोने से लोग इस स्‍थल को देखन आ रहे हैं। यहाँ की हर‍ियाली और समय की डोर को रोक देने की क्षमता रखने वाली इस अलौकिक अजारा को एक बार देखने विदेशी पर्यटक भी आ रहे हैं। एक साथ प्रकृति, इतिहास और वर्तमान के अत्‍याधुनिक सुविधाओं का आनंद लेना चाहते हैं तो यह स्‍थान सिर्फ आपके स्‍वागत के लिए पलकें बिछाये हुए है।

वायुयान

निकटतम हवाई अड्डा ‘‘जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा’’ पटना 110 किमी की दूरी पर है। पटना अच्छी तरह से कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, रांची, लखनऊ सहित सभी प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है। राजगीर गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (78 किमी) जो बैंकॉक, कोलंबो, थिम्पू आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थलों से जुड़ा है।  

ट्रेन

राजगीर में ही एक रेलवे स्टेशन (RGD) है। पटना, कोलकाता और नई दिल्ली से आने के लिए प्रतिदिन दैनिक ट्रेन है। नई दिल्‍ली से यहां आने के लिए श्रमजीवी एक्सप्रेस है और वाराणसी से आने के लिए बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस है। दानापुर से आने के लिए राजगीर एक्सप्रेस है।  कोलकाता  से राजगीर-हावड़ा ट्रेन है। गया से आने के लिए यहां पर दिनभर में कई ट्रेन हैं।

सड़क मार्ग

यहां आने के लिए नियमित बस सेवा इन सभी स्थानों से उपलब्ध हैं। राजगीर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से पटना (110 किमी), नालंदा (15 किमी), गया (78 किमी), पावापुरी (38 किमी), बिहार शरीफ (25 किमी) से जुड़ा हुआ है। बिहार सरकार पर्यटकों की सुविधानुसार बीएसटीडीसी राजगीर के माध्यम से पटना और बोधगया के बीच दैनिक वातानुकूलित बसें चलाता है। टैक्सियों किराया पर सभी प्रमुख स्थानों से आसानी से उपलब्ध हैं।

पार्किंग की उत्तम व्यवस्था

अगर आप अपने वाहन से आना चाहें तो पांडु पोखर राजगीर के केंद्र से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। आप यहां पर वाहन, ऑटो, रिक्शा, या साइकिल से पहुंच सकते हैं। यहां पर पार्किंग की उत्तम व्यवस्था है।

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