अगर आप आत्म शान्ति और आनंद की तलाश में हैं तो आप बिलकुल सही पते के बारे में पढ़ रहे हैं।
वो स्थान जो आत्म शान्ति और आनंद दोनों प्रदान करता है वह राजगीर का ‘विश्व शान्ति स्तूप’ है। यह बौद्ध स्थल बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में स्थित है। वैसे तो राजगीर में घुमने के लिए अन्य भी कई जगह हैं परन्तु विश्व शान्ति स्तूप की बात थोडी अलग है। इसीलिए यह पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य विषय है।
राजगीर एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है। यहां के विश्व शांति स्तूप ने अपना अद्वितीय स्थान बनाया है। यह विश्व विख्यात पर्यटन स्थल हरियाली की चादर ओढ़े हुए है। यह शांति भरे दृश्यों से भरा हुआ है। जो इस जगह को शांति और सद्भाव का प्रतीक बनाता है।
राजगीर, बिहार का एक रहस्यमय और पावन स्थान है। यहां विश्व शांति स्तूप अपनी ऊँचाई पर स्वयं को गर्व से खड़ा करता है। इस प्रमुख बौद्ध स्थल की सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण ने लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
यह यात्रा हमें यहां के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों से भी पहचान कराती है। यह विश्व शान्ति के प्रति भारतीयों की भावना को बढ़ावा देता है और एक सशक्त बौद्ध समुदाय का हिस्सा बनाता है।
राजगीर हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों के लिए ही समान रूप से महत्व रखता है। राजगीर को वैश्विक पहचान दिलाने में इस सतूप काफी योगदान है। बौद्ध स्थल होने के कारण विदेशी पर्यटक काफी मात्रा में यहां आते हैं। राजगीर आने वाले पर्यटकों में विश्व शान्ति स्तूप देखन की बहुत ही उत्सुकता होती है। यह स्तूप 400 मीटर ऊंची है। वैसे तो राजगीर में कई दर्शनीय स्थल हैं परन्तु विश्व शान्ति स्तूप का आकर्षण सभी को अपनी ओर खींचता है। यहां बैठकर आत्म शान्ति की खोज और मानसिक शान्ति की अनुभुति करने का सुखद आनन्द की कोई व्याख्या नहीं कर सकता।
रत्नागीरि पहाडी पर स्थित
यह बिहार के राजगीर में स्थित रत्नगिरी पर्वत पर है। विश्व शांति स्तूप रत्नगिरि पर्वत के शीर्ष पर स्थित है। यह सभी भातीयों के लिए एक पवित्र स्थान है। यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व का मिलाजुला स्वरूप मिलता है। स्तूप का इस ऊँचे शिखर पर स्थान उसकी प्रमुखता का प्रतीक है। भक्तों, पर्यटकों और आगंतुकों के लिए उनकी आध्यात्मिक यात्रा के लिए एक प्रेरणादायक पृष्ठभूमि प्रदान करता है।
पर्वतारोहण
यह पर्वत विश्व शांति स्तूप के बीच एक संबंध स्थापित करता है। इससे स्थल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और गहरा हो जाता है। तीर्थयात्री अक्सर पहाड़ को चढ़ने के लिए एक यात्रा पर निकलते हैं। इससे उन्हें अपने आत्म शान्ति की खोज के रूप में विश्व शांति स्तूप तक पहुंचने का अवसर होता है। चढ़ाई केवल एक भौतिक तीर्थयात्रा ही नहीं बनती, बल्कि यह एक बोधि और शांति की स्वरूप एक चढ़ाई बन जाती है। रत्नागिरि पर्वत का शांतिपूर्ण वातावरण विश्व शांति स्तूप के यात्री द्वारा खोजे जाने वाले शांति और आनन्द के लिए बिल्कुल उचित माहौल प्रदान करता है। यहां की प्राकृति आत्म-विचार और बौद्ध धरोहर के शिक्षाओं से जुड़ने को प्रोत्साहित करती हैं। जब पर्यटक इस पर्वत की ऊपरी सीमा की ओर बढ़ते हैं, तो उन्हें केवल स्तूप की वास्तुकला ही नहीं, बल्कि आसपास के परिदृश्य की अनुपम झलकियां भी देखने को मिलता है। ऊँचे स्थान से राजगीर का हरा भरा वातावरण बेहद शानदार दृश्यों का आश्चर्यजनक चित्र प्रदान करता है। यह ध्यान और विचार के लिए एक शांतिपूर्ण वातावरण बनाती है। रत्नागिरि पर्वत विश्व शांति स्तूप के लिए गर्व से अपना सर उठाता है। आध्यात्मिक पहलु को प्राकृतिक के साथ जोड़ने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। यह भौतिक विश्व और आध्यात्मिक यात्रा के बीच गहरा संबंध दर्शाता है।
संगमरमर पत्थर से निर्मित
यह स्तूप संगमरमर की पत्थरों से निर्मित है। जिससे सुबह में इसका दर्शन करने पर ऐसा लगता है कि हिमालय की बर्फ पर सुरज की किरणें पड़ रही हो और वह उजली ऊर्जा चारों तरफ के वातावरण में बिखेर रही हो।
चार स्वर्ण प्रतिमाएं
इस स्तूप के चारों दिशाओं में चार प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। बौद्ध स्तूप के गोलम्बर में चारों दिशाओं को ध्यान में रखकर स्तूप में चार प्रकार की प्रतिमाएं स्थापित करना की प्रथा बहुत ही प्राचीन है। ये चारों ही प्रतिमाएं भगवान बुद्ध के चार महत्वपूर्ण घटनाओं के द्योतक हैं। वे हैं- जन्म, ज्ञान प्राप्ति, प्रथम उपदेश और महापरिनिवार्ण । इन चार प्रतिमाओं में भगवान बुद्ध के जन्म (लुंबिनी) को प्रदर्शित करने वाली प्रथम प्रतिमा होती है। दूसरी ज्ञान प्राप्ति (बोधगया) को प्रदर्शित करने वाली होती हैं। तीसरी प्रथम उपदेश देने वाली घटना को प्रदर्शित करता है जो कि उत्तर प्रदेश के सारनाथ में हुई है। जिसे बौद्ध साहित्य में धम्मचक्कपवत्तन कहते हैं। अंतिम प्रतिमा भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण (कुशीनगर, उत्तर प्रदेश) को इंगित करती है।
महापरिनिर्वाण मृत्यु नहीं है
कुछ लोग महापरिनिब्बान (महापरिनिर्वाण -हिन्दी भाषा में) को मृत्यु कहते हैं जबकि यह गलत है। इसका अर्थ होता है जन्म मरण से पूर्णत: मुक्ति। अब उसका पुन: जन्म नहीं हो सकता। वह कहां गया इसका भी कोई उत्तर नहीं दे सकता। जैसे दिपक बुझ जाने पर वह लौ कहां गई इसका कोई जबाब नहीं है उसी प्रकार महापरिनिब्बान के बाद भगवान बुद्ध कहां गये इसका भी कोई जबाब नहीं है।
80 विश्व शान्ति स्तूप
यह विश्व के 80 शान्ति स्तूपों में से एक है। इसका निमार्ण निप्पोजन म्याहोजी संस्था ने कराया है। बिहार के कई बौद्ध स्थलों पर विश्व शान्ति स्तूप है। इन स्थानों के नाम हैं – वैशाली, गया, और पटना। बिहार के बाहर भी कई स्थानों पर इस प्रकार के ही स्तूप हैं। इनमें सारनाथ, दिल्ली का स्तूप बहुत प्रसिद्ध है।
बौद्ध देशों में विश्व शान्ति स्तूप
बौद्ध देशों में विश्व शान्ति स्तूप सामान्यत: सभी बौद्ध स्थलों पर मिल जाता है। नेपाल के लुंबिनी, कठमांडु में इस प्रकार के बौद्ध स्तूप होते हैं। विश्व शांति स्तूप, जिसे बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने अपनाया है, विशेष रूप से शांति और एकता के संदेश को बोध कराता है।
स्तूप के उपर
विश्व शांति स्तूप की शीर्ष संरचना को “छत्र” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “छाता”। छत्र स्तूप के महत्वपूर्ण वास्तुकला होती है और सामान्यत: स्तूपों में पाए जाते हैं, जो मुकुट या सबसे ऊपरी भाग पर होते हैं। विश्व शांति स्तूप की निर्माण में उपयोग की जाने वाली सामग्री, छत्र सहित, सामान्यत: सुदृढ़ कंक्रीट और अन्य निर्माण सामग्रियों का संयोजन होता है।
स्तूप के चारों ओर परिक्रमा
बौद्ध देशों में लोग सुबह और संध्या काल में बौद्ध स्तूपों की परिक्रमा करते हैं जिस प्रकार से हिन्दू धर्म के मानने वाले मंदिर की परिक्रमा करते हैं। लोग सुबह और शाम को विश्व शांति स्तूप के चारों ओर चलते हैं इनके कई कारण होते हैं, जैसे कि धार्मिक आचरण, आध्यात्मिक विचार और आस-पास के परिवेश की शांति। स्तूप के चारों ओर घूमने को “प्रदक्षिणा” कहा जाता है। यह भगवान बुद्ध की भक्ति, श्रद्धांजलि, और बोधि तक पहुंचने की पथ का प्रतीक है।
सुबह में कई व्यक्ति स्तूप की परिक्रमा के साथ अपना दिन आरंभ करना पसंद करते हैं। यहां आकर प्रार्थना और ध्यान भी करते हैं। प्रात: वेला में यहां की शांत वातावरण आत्म-विचार और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए एक शांतिपूर्ण स्थल प्रदान करती है। शाम को भी लोग स्तूप की यात्रा करने के लिए आते हैं। आज भगवान की कृपा से मेरा दिन अच्छा रहा इसके लिए कृतज्ञता की प्रार्थनाएं करते हैं और शांति की मांग करते हैं। सूर्यास्त के दौरान शांतिपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है। यह परिक्रमा लोगों की शान्ति और आनन्द की अनुभूति को बढ़ाता है। विश्व शांति स्तूप के चारों ओर प्रदक्षिणा करने का यह कार्य आशीर्वाद, सकारात्मक ऊर्जा और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से जुड़ने का माध्यम माना जाता है।
रोपवे
राजगीर, बिहार का रोपवे एक केबल कार प्रणाली है जो राजगीर पहाड़ों के निचले हिस्से को ऊँचे पर स्थित शांति स्तूप से जोड़ती है। यह रोपवे, जिसे राजगीर रोपवे भी कहा जाता है, विश्व शांति स्तूप की यात्रा करने वाले तीर्थयात्री और पर्यटकों के लिए सुगम और दृश्यमय यात्रा का साधन प्रदान करता है।
स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण
स्तूप स्थापत्य कला की शानदार उदाहरण है। इसकी श्वेत रंग और गोलाकार स्वरूप खिले आकाश में विश्व शान्ति का संदेश देता है। इस आकृति में आधुनिकता और पारंपरिक बौद्ध स्थापत्य का मिलान है, जो यात्रीओं के लिए आकर्षण का विषय है।
आध्यात्मिक महत्व
विश्व शांति स्तूप केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है। यह उन लोगों के लिए एक तीर्थ स्थान है जो आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं। स्तूप में चार स्वर्ण मूर्तियाँ हैं, जो भगवान बुद्ध के विभिन्न जीवन के पहलुओं को दिखाती हैं। शांतिपूर्ण वातावरण और ध्यान करने का अनुकुल वातावरण इसे आत्मविचार और ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। विश्व शांति स्तूप एक स्थान है जहां पर्यटक ध्यान और आत्म-पुरुषार्थ के लिए आते हैं। इस सुंदर स्तूप की ऊँचाई से दर्शकों को बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों को अनुभव करने का मौका मिलता है ।
प्राकृतिक नजारा
यात्री स्तूप के शीर्ष से परिवर्तनीय पहाड़ों और घाटियों की एक बहुमुखी दृष्टि से आत्मविभोर होते हैं। यह दृश्य विशेष रूप से सूर्यास्त और सूर्यास्त के दौरान आकाश को सोने जैसा रंगीन बनाते हैं और एक मोहक दृश्य बनाते हैं। पर्यटकों के लिए यह दृश्य उन्हें यहां पुन: बुलाता है।
विश्व शान्ति स्तूप वैश्विक एकता का प्रतीक
विश्व शांति स्तूप शांति और अहिंसा का एक सार्वभौमिक प्रतीक है। एकता, करुणा, मैत्री और दया का संदेश स्तूप के आकृति और बनावट देते हैं। यह शांतिपूर्ण वातावरण में खूबसूरती को समेटे हुआ है। बौद्ध धर्म में सामंजस्य और सहयोग का संदेश है। विश्व शांति स्तूप इस संदेश को फिर से स्थापित करता है। यह दिखाता है कि अलग-अलग बौद्ध देशों के बीच एकता और सामंजस्य की भावना है। यहां, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक एक साथ आकर्षित होते हैं और एक बड़े परिवार के रूप में एक समृद्धि भरा माहौल बनता है। आप भी यहां पर एक बार अवश्य पधारें।
पर्यटक अनुभव
बिहार के राजगीर स्थित विश्व शांति स्तूप पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय और प्रेरणादायक स्थल है। यहां का दौरा करने से पर्यटक न केवल बौद्ध धरोहर को समझते हैं, बल्कि उन्हें शांति और समर्थन की अनुभूति होती है।
पर्यटक के रूप में विश्व शांति स्तूप घुमना आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्वितीय मिश्रण प्रदान करता है। चाहे आप इतिहास में उत्सुक हों, एक आध्यात्मिक अनुयायी हों, या केवल शांति की तलाश में हों। यह स्तूप सभी प्रकार की अनुभवों का मिश्रण है। विश्व शांति स्तूप का दौरा केवल बौद्ध धरोहर की दिशा में ही नहीं, बल्कि प्रकृति की गोद में गहरी शांति का अनुभव करने का एक अवसर है। तो देर किस बात की। अपनी जिज्ञासा और कैमरा साथ लेकर, इस प्रमुख स्मारक की शांतिपूर्ण सौंदर्य की चात्रा पर निकलें।
महत्वपूर्ण जानकारीयां
आने का उत्तम समय
ऑक्टूबर से मार्च
पर्यटक सूचना केन्द्र,
राजगीर स्तूप से 5 किलो मिटर दूर
नजदिकी पुलिस स्टेशन/ थाना
राजगीर थाना। स्तूप से 04 किलो मिटर दूर
थाना फोन नं०: 06112 255228
अस्पताल
सदर अस्पताल राजगीर
अस्पताल फोन नं०: 06112 255102
कैसे पहुंचें
हवाई चात्रा
पटना हवाई अड्डा (जयप्रकाश नारायण इंटरनेश्नल एयरपोर्ट) से 105 किलो मिटर दूर
रेल यात्रा
सबसे नजदिक रेलवे स्टेशन है – राजगीर। रेलवे स्टेशन से 06 किलो मिटर दूर।
नई दिल्ली से राजगीर:
श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12392) – प्रतिदिन
गया से राजगीर: बुद्ध पूर्णमा एक्सप्रेस (14224) – प्रतिदिन
गया बख्तियारपुर मेमु स्पेशल (03626) – प्रतिदिन । रविवार को छोडकर
पटना से राजगीर:
बुद्ध पूर्णमा एक्सप्रेस (14224) – प्रतिदिन
श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12392) – प्रतिदिन
राजगीर एक्सप्रेस (13234) – प्रतिदिन
राजगीर स्पेशल फेयर एक्सप्रेस (03250) – प्रतिदिन
दानापुर तिलैया पैसेन्जर स्पेशल (03630) – प्रतिदिन
राजगीर मेमु एक्सप्रेस स्पेशल (03232) – प्रतिदिन
वाराणसी से राजगीर
श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12392) – प्रतिदिन
बुद्ध पूर्णमा एक्सप्रेस (14224) – प्रतिदिन
पंडित दीन दयाल उपाध्याय से राजगीर
श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12392) – प्रतिदिन
बुद्ध पूर्णमा एक्सप्रेस (14224) – प्रतिदिन
दानापुर से राजगीर
बुद्ध पूर्णमा एक्सप्रेस (14224) – प्रतिदिन
श्रमजीवी सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12392) – प्रतिदिन
राजगीर एक्सप्रेस (13234) – प्रतिदिन
राजगीर स्पेशल फेयर एक्सप्रेस (03250) – प्रतिदिन
दानापुर तिलैया पैसेन्जर स्पेशल (03630) – प्रतिदिन
राजगीर मेमु एक्सप्रेस स्पेशल (03232) – प्रतिदिन
बस यात्रा
राजगीर बस स्टैंड से मात्र 04 किलो मिटर दूर। कई प्रकार के निजी वाहन भी किराया पर यहां पर मिलते हैं।
फोटोग्राफी और वीडियो
यहां पर फोटोग्राफी और वीडियो बिलकुल नि:शुल्क है।
पार्किंग
यहां पर दो पहिया और चार पहिया वाहनों के पार्किंग की उत्तम व्यवस्था है।
रेस्टोरेंट
खाने के लिए और आराम करने के लिए अच्छे अच्छे रेस्टोरेंट हैं।
नि:शुल्क शुद्ध पेयजल
विश्व शान्ति स्तूप के परिसर में शुद्ध पेय जल की नि:शुल्क व्यवस्था है।
5 Km के अन्दर अन्य दर्शनीय पर्यटन स्थल
जरासंध का अखाड़ा (03किलो मिटर), नया रोपवे, साइक्लोपियन दीवार (03 किलो मिटर), सोन भंडार गुफा (03 किलो मिटर), बिंबिसार का जेल (03 किलो मिटर), गृद्धकुट पर्वत (04 किलो मिटर)