भगवान बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त किया। वे 45 वर्षों तक मध्यमंडल में पैदल घुम घुम ज्ञान का प्रचार प्रसार करते रहे। अनेक लोगों को जीवन की सार से अवगत कराया। आज विश्व के कई भाग में बौद्ध समुदाय के लोग रहते हैं। वे बौद्ध धर्म को मानते हैं और भारत के अनमोल धरोहर को संजोये हुए हैं।
महत्वपूर्ण पर्व का दिन
पोया दिवस श्रीलंका के लिए एक पर्व का दिन है। श्रीलंका में बौद्ध पर्वों की बहुलता है। इन बौद्ध पर्वेां में भी यह पोया दिवस सबसे महत्वपूर्ण है। श्रीलंका में बुद्ध ही सबसे बडे भगवान हैं। तो सिंहल वाशी अपने भगवान के आगमन को इस दिन के रूप में मनाते हैं।
श्रीलंका में राष्ट्रीय छुट्टी का दिन
धुरुथु पाया दिवस को श्रीलंका की सरकार ने राष्ट्रीय अवकास दिवस के रूप में घोषित किया है। इस दिन सभी शिक्षा संस्थान बंद होते हैं। श्रीलंका के महान पर्वों में से एक है यह पोया दिवस।
क्यों पहुंचे महियंगनय
ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध यहां पर यक्ष और नाग नामक दो समुदाय के बीच हो रहे मतभेद को दूर करने के लिए ही श्रीलंका आये थे। वे महियंगन नामक स्थल पर ही सबसे पहले पहुंचे। इस स्थल पर यक्ष और नाग नामक दो जनजातियां का बहुलता थी। यहीं भगवान बुद्ध का पहला यात्रा थी। यहां पर भगवान बुद्ध ने सुमन समन नामक जनजातिय नेता को धम्म की दिक्षा दिया।
महियंगनय में सबसे पहले पहुंचे बुद्ध
भगवान बुद्ध सबसे पहले महियंगनय नामक जगह पर पहुंचे थे। यह स्थान श्रीलंका के बदुल्ला जिला में पडता है जो उवा क्षेत्र में आता है।
दीपवंस और महावंस ग्रन्थ
दीपवंस और महावंस नामक पालि साहित्य के ग्रन्थ के अनुसार भगवान बुद्ध यहां पर दो जनजातियों के झगडे को समाप्त करने के लिए ही आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध यहां आये थे। भगवान बुद्ध की धम्म देसना को सुनकर वे दोनों समुदाय ने हमेशा के लिए झगडे को छोड दिया और एक दूसरे के साथ सम्मान पूर्वक जीवन यापन करने लगे।
पोया दिवस: जनवरी का पहला पूर्णिमा
जनवरी के प्रथम पूर्णिमा को यह पर्व श्रीलंका में बहुत ही धुम धाम सेमनाया जाता है। यह महीना श्रीलंका में पर्यटन की दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। दक्षिण-पश्चिम मानसुन समाप्त होने लगता है और उत्तर-पूर्वी मानसून का प्रभाव बना रहता है। उत्तर और पूर्वी समुद्र तट पर घुमना कठीन होता है। परन्तु श्रीलंका के अन्य भाग का भ्रमण करने के लिए पर्यटक आते हैं। पर्यटन के लिए उपयुक्त महीना में से यह तीसरा और अंतीम महीना माना जाता है।
श्रीलंका घुमने का सबसे उपयुक्त समय
नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी ये तीन माह श्रीलंका में पर्यटकों का तांता लगा रहता है। ये सबसे व्यस्त समय होता है श्रीलंका में पर्यटन की दृष्टि से।
क्यों मानाया जाता है पोया दिवस
श्रीलंका के लोग ऐसा ऐसा मानते हैं कि ज्ञान प्राप्ति के नौवे महीने में पहली बार भगवान बुद्ध श्रीलंका की धरती पर अपने पैर रखे थे। इस प्रकार से भगवान बुद्ध के श्रीलंका गमन के रूप में यह दिवस मनाया जाता है।
12 पोया दिवस
श्रीलंका के वार्षिक कैलेंडर में 12 पोया दिवस मनाया जाता है। ये 12 दिन भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं से जुडे हुए हैं। प्रत्येक महीना में एक पोया दिवस आता है। इस दिन सरकारी अवकाश होता है। लोग भगवान बुद्ध के जीवन से जुडे घटनाओं से संबंधित परम्पराओं को पालन करते हैं। सिंहल लोगों के जीवन में इन 12 दिनों का काफी महत्व है और ये लोग इस दिन धार्मिक रीतिरिवाजों का पालन करते हैं और पर्व मनाते हैं।