बोधगया का अनिमेष चैत्‍य जहां से बुद्ध ने बिना पलक झपकाये एक सप्‍ताह तक बोध‍िवृक्ष को देखा

बिना पलक झपकाये देखना। क्‍या आपने कभी किया है यह कार्य। किसी को बिना पलक झपकाये देखा है। अगर हां तो कितनी देर तक। कितना मिनट तक। देखे होंगे कुछ मिनट तक।

परन्‍तु भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्‍ति के दूसरे सप्‍ताह में बोध‍िवृक्ष को देखा। बिना पलक झपकाये।

ज्ञान प्राप्‍ति के बाद भगवान बुद्ध बोधगया में सात सप्‍ताह तक रहे। जहां पर वे सात सप्‍ताह बिताये वह पुरा परिसर ही बोधिमंड कहलाता है। आज यह पुरा का पुरा परिसर महाबोधि मंदिर के परिसर के नाम से जाना जाता है।

दूसरे सप्ताह में लगातार एक सप्‍ताह तक बोध‍ि वृक्ष को देखे

दूसरे सप्ताह में, बुद्ध ने ध्यान करना जारी रखा और धर्म पर विचार की। सनातन धर्म में किसी का उपकार करना और किसी के द्वारा किये गये उपकार को मानना हमेशा से ही पुण्‍य का कार्य माना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने बोधि वृक्ष की ओर कृतज्ञता के साथ खड़े होकर देखा।

बुद्ध बोधि‍ वृक्ष से उत्तर-पूर्व की दिशा में

दूसरे सप्‍ताह में भगवान बुद्ध बोधि‍ वृक्ष से उठकर उत्तर-पूर्व की दिशा में खड़े होकर एक सप्‍ताह तक बोधि वृक्ष को देखते हुए बिताया। यह स्‍थान बौद्ध साहित्‍य में अनिमेष चैत्‍य कहा जाता है।

बिना पलक झपकाये एक सप्‍ताह

दूसरा सप्‍ताह में भगवान बुद्ध बिना पलक झपकाये एक सप्‍ताह तक बोधि वृक्ष को देखते रहे। सात सप्‍ताह में वे मूलत: धम्‍म पर ही विचार कर रहे थे। परन्‍तु वे इसके साथ साथ बोध‍िवृक्ष की नीचे बैठकर प्राप्‍त सम्‍बोधि के लिए बोध‍िवृक्ष को बहुत ही स्‍नेह पूर्वक देख। वो भी पूरा एक सप्‍ताह तक।

Pic credit: Bihar Government Tourism

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