रांची झारखण्‍ड पर्यटन स्‍थल, झारखण्‍ड के प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल, Top 7 BEST Places to Visit in Jharkhand, Tourist Places Jharkhand

झारखंड का जिला देवघर: देवघर मंदिर

कलावा से दो मंदिरों का शिखर जुडे हुए तस्‍वीर तो आप अवश्‍य देखे होंगे। आज आप उसी के बारे में इस टूरिस्‍ट ब्‍लॉग में पढ़ रहे हैं।

झारखंड में ऐसे तो कई धार्मिक स्‍थल हैं। इस मंदि‍र की लोकप्रियता और श्रद्धालुओं में श्रद्धा अद्भूत है। यह मंदिर है 12 ज्‍योतिर्लिंग मंदिरों में से एक। यहां श्रावण मास में अपार भीड होती है। लाखों की संख्‍या में प्रतिदिन भक्‍त यहां पर दर्शन करते हैं और जल चढाते हैं। पुरा महीना भक्‍त जल चढ़ाने के लिए आते हैं। सावन माह में जल चढ़ाना भक्‍तों के लिए कई जन्‍मों का पुण्‍य देने वाला होता है। यहां पर कई घुमने और देखने के लायक स्‍थल हैं। नंदन पहाड, बैद्यनाथ धाम, सत्‍संग आश्रम देवघर के मुख्‍य आकर्षण हैं। देवघर को झारखंड की सांस्‍कृतिक राजधानी कहा जाता है। यह पुरे भारत के हिन्‍दूओं के आस्‍था का प्रमुख केन्‍द्र है।

झारखंड में जमशेदपुर /स्‍टील सिटी /टाटानगर

यह है भारत का एक अनोखा शहर। कई उपनाम और कई ऐतिहासिक ख्‍याति वाला शहर है यह। इसे स्‍टील सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यह स्‍टील बनाने वाले सबसे बडे शहरों में, विश्‍व के सबसे बडे शहरों में इसका स्‍थान आठवाँ हैं। इसे स्‍टील का आठवां अजुबा वाला शहर भी कह सकते हैं। भारत का पहला नियोजित शहर होने के का ऐतिहासि‍क गौरव इसी शहर के नाम से दर्ज है। वैसे तो 1919 जालियांवाला बाग के लिए ही अधिक फेमस है परन्‍तु इसी वर्ष इस शहर का नाम भी जुडा है। इसका नाम 1919 में जमशेदजी टाटा के नाम पर रखा गया था । जमशेदजी टाटा उद्योगों के संस्‍थापक थे । स्‍टील सिटी के रूप में जाना जाने वाला जमशेदपुर भारत के विकास का रीढ़ है। इसके नाम एक  और इतिहास जुडा है । क्‍या इसका उत्तर है कि यह झारखंड का सबसे बडा शहर है। यहां पर्यटकों के लिए भी है। सिर्फ स्‍टील ही नहीं है। दलमा का प्रसिद्ध वाइल्‍ड लाइफ सेंचुरी कहीं और नहीं यहीं पर है। जुबली पार्क आइये घुमने वो भी यहीं पर है। और क्‍या बतायें? हां याद आया। टाटा स्‍टील जूलोजिकल पार्क मित्रों के साथ घुमने का अच्‍छा अनुभव देने वाला है। 3 अक्‍टूबर इस शहर के नाम होता है। लोग इस दिन जुबली पार्क में जमा हो जाते हैं। किसलिए? इस शहर के स्‍थापना दिवस मनाने के लिए। इस दिन अपना जुबली पार्क चारों ओर से रंगबिरंगा रोशनी से नहायी रहता है।

झारखंड का हजारीबाग: हजार बाघों वाला

हजारीबाग का नाम हजारी प्रसाद द्विवेदी के नाम से नहीं चुराया गया है। इसमें ज्‍यादा नहीं सोचना है। हां इसका मायने जरुर होता है: हजार बाघों वाला शहर। झारखण्‍ड की रांची से 93 किलोमिटर दूर है यह शहर। कितना घंटा लगेगा यह आप किस प्रकार के वाहन से आ रहे हैं उस पर निर्भर करता है। यह पठार के उपर बैठा है। कहने का मतलब है कि छोटा नागपुर पठार स्थित हैं। जो बसा ही हो पठार पर वहां कि हर‍ियाली और प्राकृत नजारा का तो कहना ही क्‍या है। यह सब कुछ तो यहां पर बोनस है। हां यहां जंगल बहुत ही घने हैं। इन जंगलों में घुमने और देखने का लुत्‍फ लेना है तो पधारें यहां। यहां की चट्टानों और झीलों से भरा नजारा इसे अत्‍यंत खूबसूर‍त बना देता है। समुद्र तल से दो हजार मीटर की उंचाई है इसकी। हजारीबाग राष्‍ट्रीय उद्यान भी समय बिताने का अच्‍छा जगह है। थोडा एकांत रहता है। यह उद्यान 135 किलोमिटर के क्षेत्र में फैला हुआ हैं।  यहां आने का एक और फायदा है कि यहां  पर पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों भी देखने का मिल जायेगा। पहाड़ हो, चट्टान हो और दुर्लभ पक्षी हों तो उसकी खूबसूरती का वर्णन करने के लिए तो कव‍ि होना पडेगा। हजारीबाग में एक हिल भी है जिसका नाम है कैनेरी हिल। यहां पर भी पर्यटक आते हैं और प्रकृति की गोद में कुछ सुकुन का पल बिताते हैं।  भारत प्रसिद्ध रजरप्‍पा मंदिर भी देखने का सपना हो तो वो भी यहीं पर पुरा होगा।

झारखंड में श्री सम्‍मेद शिखरजी

यह एक धार्मिक स्‍थल है। इसका संबंध जैन धर्म से है। यह जैन तीर्थ स्‍थल है। इसे पर्यटन स्थल न कहकर इसे से तीर्थ स्थल कहना उच‍ित होगा। जैन धर्म वालों के लिए यह एक आस्था का केन्द्र है। यह झारखंड के सबसे उचे पर्वत पारसनाथ पहाडी पर स्थित है। इसे कुछ लोग शिखरजी तो कुछ लोग श्री शिखरजी भी कहते हैं। माना जाता है कि 24 में से 20  तीर्थंकरों की यहां पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यह जैन धर्म के लिए कितना पवित्र स्‍थल है इसका अंदाजा इसी से लगा लिजिए कि 20 तीर्थंकर यहां पर मोक्ष प्राप्‍त कीये। यह जैन धर्म के लिए सबसे पवित्र स्‍थलों में से एक है। शिखरजी पर्यटन स्‍थल समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की उंचाई पर है। यह झारखंड का सबसे उंचा स्थान है। यहीं पर 23 वें तीर्थंकर पार्श्‍वनाथ भी निवार्ण प्राप्‍त किये थे।  

झारखंड का बेतला नेशनल पार्क

तेंदुए का घर, हाथी का झूंड,बाघ का भी रैन वसेरा और भी न जाने कितने ही जानवरों का ठि‍काना है यह उद्यान। एक बेहद ही खूबसूरत राष्‍ट्रीय उद्यान का नाम है बेतला राष्‍ट्रीय उद्यान।  झारखंड के लातेहार और पलामु के जंगलों में है। पलामू जिले रांची के पश्चिम में है। यहां पर हाथी ही मुख्‍य आकर्षण हैं। यह हाथियों का घर है। कोई रोक टोक नहीं । वे जहां चाहें घुम सकते हैं। जंगल के घने इलाकों इन हाथ‍ियों के लिए स्‍वर्ग के समान है। यहां के वनस्‍पति और जीव न सिर्फ देशी बल्कि विदेशी पर्यटकों को मंत्रमुग्‍ध करते हैं। यहां बाघ भी हैं परन्‍तु उनसी संख्‍या थोडी कम है। भारत के उतर पूर्व में स्थित यह उद्यान बेहद ही लोकप्रिय है। लगभग 979 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पसरा यह पार्क वन्‍य जीवों के लिए निर्भय होकर रहने का वातावरण है। इसका मुख्‍य क्षेत्र है 232 वर्ग किलोमी‍टर।

प्रकृति की गोद में बसे रांची झारखंड

टैगोर हिल, जगन्‍नाथ मंदिर, हटिया संग्रहालय, कांके डैम और और हुडरू फॉल्‍स ये पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। विद्वानों और खोजकर्ताओं के ल‍िए रांची के पास है जनजातीय अनुसंधान संस्‍थान। इतिहास प्रमियों के लिए रांची रखा है: संग्रहालय।

उंचाई से देखें यानी उंचाई की दृष्टि से देखें तो यह रांची 700 मीटर पर स्थित है। यहां पर गोंडा हिल और रॉक गार्डेन भी है। जो पर्यटकों के समय बिताने और एकांत का आनंद लेने की जगह है। प्रकृति ने इसे खनिज की अपार संपदा उपहार में दी है। एक समय यह बिहार की ग्रीष्‍मकालीन राजधानी था। यहां पेडों का भी अच्‍छी अच्‍छी प्र‍जातियां देखने को मिलती हैं।

टैगोर हिल से रांची का दिखता है अद्भूत नजारा

एशिया के प्रथम ऐसे व्‍यक्ति जो लोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। महान साहित्‍यकार और आमार सोनार बांगला के लेखक रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर टैगोर हिल का नामकरण हुआ है। यहां पर एकांत का आनंद लेने आते थे महान कवि रविन्‍द्रनाथ। वे अपनी किताबे लिखने के लिए भी इस पहाडी के प्राकृतिक वादियों की छांव में आते थे। लगभग 300 फीट की उंचाई पर स्थित है। यह एक एडवेंचर टूरिज्‍क का प्‍लेस भी है। रॉक क्‍लाइम्बिंग और ट्रैंकिंग जैसे एडवेंचर खेलों के प्र‍िय पर्यटक भी इसे याद करते हैं। सुबह का नजारा यहां बहुत ही शांत होता है। साफ सफाई का भी ख्‍याल रखा जाता है। यहाँ पर एक मंडप बना दिया गया है। पर्यटक वहां से फोटो लेना बहुत पसंद करते हैं। शहर की शोर यहां तक पहुंचने में दम तोड देते हैं। पर्यटक पुरी फैमिली के साथ आते हैं। यहां पर सुबह से ही भीड जुटनी शुरु हो जाती है। यह स्‍थान पिकनिक के लिए भी लोकप्र‍िय है। लोग यहां पर जन्‍म दिन भी मनाते हैं। यहां पर कई स्‍तर पर सीढियां है। चोटी जहां पर मंडप है वहां तक पहुंचने क‍े लिए आपको लगभग 200 से 250 सिढीयां चढनी पडती हैं । यह मंडप से रांची का बहुत ही खूबसूरत नजारा देखने का मिलता है। सूर्यास्‍त का समय बिताने के लिए लोग यहां विशेष रूप से आते हैं।

Pic credit: Jharkhand Tourism X handle

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